जीवन विद्या राष्ट्रीय सम्मेलन - 2018
अहमदाबाद, गुजरात
*प्रथम सूचना / निमंत्रण पत्र*
अखंड समाज, सार्वभौम व्यवस्था के लिए शिक्षा
और जीने का स्वरूप
आपको बताते हुए बेहद खुशी है कि जीवन विद्या राष्ट्रीय सम्मेलन 2018 अहमदाबाद, गुजरात में नवंबर 15,16, 17 को आयोजित है । सम्मलेन स्थल गुजरात विद्यापीठ निश्चित हुआ है जो एक ऐतिहासिक संस्था है। गुजरात के मित्रों में बहुत उत्साह है एवं इसी उत्साह के साथ आपको आने का निमंत्रण देते हुए हमें बड़ा हर्ष है।
वर्तमान में जीवन विद्या अभियान में एक बड़ा समूह यूसीएफ (Universal Curriculum Framework) KG से PG तक के पाठ्यक्रमों के निर्माण में लगा है। इसके लिए एक शिक्षा सम्मेलन का आयोजन फरवरी 3, 4 को अभ्युदय संस्थान अछोटी में आयोजित हुआ था । इसी प्रकार दिल्ली-हापुर, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र में भी मध्यस्थ दर्शन जीवन विद्या आधारित शिक्षा वस्तु का निर्धारण, पाठ्यक्रम निर्माण एवं शिक्षक-शिक्षा के क्षेत्र में भी कार्य चल रहा है। बहुत सारे विश्वविद्यालयों के लिये उच्च शिक्षा में मानव मूल्यों का शिक्षण भी विगत 10 वर्षों से कानपुर केंद्र से सतत हो रहा है । रायपुर, अछोटी, इंदौर तथा बुलडाणा में अभिभावक विद्यालय मध्यस्थ दर्शन आधारित अच्छे प्रयोग चल रहे हैं। विकल्प गोष्टी, अमरकंटक में भी यह प्रस्ताव आया कि मध्यस्थ दर्शन-सहअस्तित्ववाद पर केंद्रित शोध कार्य एवं पुस्तक लेखन का कार्य किया जाना चाहिए । ऐसे ही अनेक प्रयास देशभर में हो रहे हैं । यह सम्मेलन मानवीय शिक्षा और जीने का स्वरूप पर केंद्रित होने से सभी के प्रयासों को गति मिलेगी और सभी के बीच आपस में समन्वय कार्य सफल हो सकेगा ।
इसे ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय सम्मेलन 2018 की समन्वयक समिति ने यह निश्चय किया है कि राष्ट्रीय सम्मेलन 2018 “अखंड समाज सार्वभौम व्यवस्था के लिए शिक्षा और जीने का स्वरूप” मुद्दे पर आयोजित किया जाय ।
*सम्मेलन में उद्धाटन-समापन सत्रों के अतिरिक्त 3 मुख्य सत्र, 2 रिपोर्टिंग सत्र, 5 समान्तर सत्र, 4-5 गोष्ठियां प्रस्तावित हैं :*
(i) 3 मुख्य सत्र
- 15 नवंबर मानवीय शिक्षा का स्वरूप (विद्यालय और उच्च शिक्षा के प्रयोगों के सन्दर्भ में)
- 16 नवंबर अखंड समाज के लिए शिक्षा एवं जीने का स्वरूप
- 17 नवंबर सार्वभौम व्यवस्था के लिए शिक्षा एवं जीने का स्वरूप
(ii) 2 रिपोर्टिंग सत्र • 16 नवंबर और 17 नवंबर
(iii) 5-5 समान्तर सत्र • 15 नवंबर और 16 नवंबर
(iv) 4-5 गोष्टियाँ • 15 नवंबर और 16 नवंबर
सम्मेलन में मुख्य 3 सत्रों के अतिरिक्त पहले 2 दिन 5-5 (संख्या आवश्यकतानुसार निश्चित की जाएगी) समानांतर सत्रों का भी आयोजन किया जाएगा । जो मध्यस्थ दर्शन- सहअस्तित्ववाद पर केंद्रित शिक्षा और जीने के प्रयोग को भी ध्यान में रख कर होंगे । जिसका प्रतिवेदन अगले दिन यानि 17-18 नवम्बर के सत्रों के उपरांत आयोजित प्रतिवेदन प्रस्तुति सत्रों में प्रस्तुत किया जाएगा । ऐसा प्रस्तावित किया गया है कि समानांतर सत्र 3 घंटों के होंगे और इन सत्रों में प्रत्येक वक्ता/ प्रस्तुतकर्ता 20-25 मिनट में अपना आलेख/शोध पत्र/विषयवस्तु पर अपने विचार प्रस्तुत करेगा । प्रत्येक सत्र में सत्र के अध्यक्ष/संयोजक के अतिरिक्त पांच वक्ता होंगे । इस तरह प्रतिदिन 30 वक्ताओं को समानांतर सत्रों में तथा मुख्य सत्र में 12 वक्ताओं को तीन दिन, यानि कुल करीबन 100 वक्ताओं को 20-25 मिनट प्रति वक्ता अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा ।
*समानांतर सत्रों के प्रस्तावित मुद्दे*
(विद्यालयीन शिक्षा से संबंधित)
- विद्यालयीन शिक्षा की विषय वस्तु और संभावित प्राप्ति
- विद्यालयीन शिक्षा की अध्यापन विधियां
- मानवीय शिक्षा के लिए विद्यालयों का स्वरूप
- मानवीय शिक्षा में श्रम का महत्व, आवश्यकता एवं प्रयोजन
- मानवीय शिक्षा और व्यवस्था संबंध
- मानवीय शिक्षा में शिक्षक का स्वरूप
- मानवीय शिक्षा में मूल्यांकन विधियां
- मानवीय शिक्षा से स्वावलंबन और उसकी निरंतरता
- विद्यालयीन शिक्षा में निपुणता-कुशलता
*शिक्षा की वस्तु में परिमार्जन एवं पूर्णता से संबंधित*
- विज्ञान के साथ चैतन्यपक्ष की शिक्षा का स्वरूप
- दर्शनशास्त्र के साथ क्रियापक्ष की शिक्षा का स्वरूप
- मनोविज्ञान के साथ संस्कार पक्ष की शिक्षा का स्वरूप
- अर्थशास्त्र के साथ प्राकृतिक एवं प्राकृतिक ऐश्वर्य में उपयोग व्यावस्थात्मक पक्ष की शिक्षा का स्वरूप
- समाजशास्त्र के साथ मानवीय संस्कृति- सभ्यता की शिक्षा का स्वरूप
- राजनीति शास्त्र के साथ मानवीयता के संरक्षण-संवर्धन की शिक्षा का स्वरूप
- इतिहास/भूगोल के साथ मानवीयता की शिक्षा का स्वरूप
- साहित्य के साथ तात्विकता की शिक्षा का स्वरूप
*उच्च शिक्षा एवं शोध से संबंधित*
- मानवीय शिक्षा में स्नातक का स्वरूप एवं स्नातक शिक्षा की विषय-वस्तु का निर्धारण
- अस्तित्व मूलक मानव केंद्रित शिक्षा का स्वरूप और अवधारणा
- शांति और सदभावना के लिए शिक्षा का स्वरूप एवं संभावित शोध क्षेत्र
- अखंड समाज सार्वभौम व्यवस्था के लिए शिक्षा स्वरूप एवं संभावित शोध क्षेत्र
- स्त्री-पुरुष समानता की शिक्षा वस्तु में अवस्थिति एवं उसका निर्धारण
- अमीरी-गरीबी में संतुलन के लिए शिक्षा का स्वरूप
- परिवार मूलक स्वराज्य व्यवस्था में हर स्तर पर शिक्षा और कौशल्य का स्वरूप
- मानवीय संविधान में शिक्षा वस्तु और उसकी सोपनीय अवस्थिति
- ग्राम्य शिक्षा की विषय वस्तु एवं महत्व
- मध्यस्थ दर्शन सहअस्तित्ववाद की दृष्टि में विश्वविद्यालयीन शिक्षा का स्वरूप
आप, उपरोक्त में से किसी एक विषय पर अपनी प्रस्तुति कर सकते हैं, या मध्यस्थ दर्शन आधारित कोई और विषय का सुझाव दे सकते है । आपकी प्रस्तुति में एक से अधिक भी लेखक/वक्ता हो सकते हैं
*इसके लिए आपको निम्नलिखित करना है ।*
1. किसी एक मुद्दे/विषय पर लगभग सौ शब्दों में सारांश (abstract) भेजना है । जिसमें निम्नांकित शीर्ष होना चाहिए ।
- शीर्षक
- प्रस्तावना
- उद्देश्य
- जीने से संबंध
- संभावित निष्कर्ष
- keywords/प्रस्तुत मुख्य शब्द
- लेखक/लेखकों का नाम, पता, ईमेल, मोबाइल नंबर
- भाषा: हिंदी /अंग्रेजी /मराठी/गुजराती
सारांश भेजने की अंतिम तिथि: 15 जुलाई, 2018
2. आपकी संक्षेपिका स्वीकृत होने पर आपको पूरा आलेख/शोध-पत्र/निबंध या कम से कम 10 और अधिकतम 20 स्लाइड का पीपीटी (PPT) हमें प्रेषित करना होगा ।
जिसकी अंतिम तिथि है 15 सितम्बर, 2018
ध्यानाकर्षण
ध्यान रहे कि आपके द्वारा प्रस्तुत किया गया पत्र/शोध-पत्र/आलेख/ आवश्कतानुसार विशेषज्ञों/वरिष्ठ शिक्षविदों को प्रेषित किया जाएगा और उनकी अनुमति पर चुने हुए पत्रों को प्रकाशित किया जाएगा और वक्ता चुने जायेंगे।
* समानांतर सत्रों के समय प्रतिभागी प्रदर्शिनी आदि भी देख सकते हैं।
आपको सभी Abstract/papers हमें निम्नांकित ईमेल ahmsammelan2018@gmail.com पर प्रेषित करना है।
सम्पर्क नंबर :-
उम्मेद नाहटा : 9979877202,
सुरेन्द्र पाठक : 8527630124,
मधुसुदन मिश्रा: 9824704057
*सम्मलेन के अन्य आकर्षण*
2. उत्पादन वस्तुओं के स्टाल,
3. वांगमयों पर आधारित प्रदर्शनी,
4. मध्यस्थ दर्शन के कुछ वाङ्ग्मयों के गुजराती अनुवाद भी प्रकाशित होंगे।
5. मध्यस्थ दर्शन अाधारित अन्य प्रकाशन भी प्रदर्शित हो सकते हैं।
*सभी मित्रों से अनुरोध है कि अपने सुझाव एवं विमर्श के अन्य मुद्दे, दर्शन पर आधारित पुस्तक लिखने के प्रस्ताव भेज सकते है ।*
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